क्या आप जानते है के रोज़ाना 2 मिलियन टन कूड़ा हमारे देश की नदियों, पोखरों, झीलों और अन्य जल निकायों मे प्रवाहित किया जाता है? विकास की ओर बढ़ रहे देशों में तो उद्योगों से निकल रहा 70 प्रतिशत कूड़ा हमें जीवन देने वाले जल स्तोत्रों में बहा दिया जाता है|

ये कचरा पानी मे रहने वाले जीव जंतुओं को ना केवल हानि पहुँचाता है बल्कि उसपर आश्रित लोगो के स्वास्थ के लिए भी अत्यंत हानिकारक है| आखिर आप के फल, सब्ज़ी और अन्य उपयोग में आने वाले उत्पाद भी पानी से ही सींचे जाते हैं; आप को दूध-दही देने वाले गाय, बकरी और अन्य पशु भी पानी पर ही निर्भर हैं| अगर स्वच्छ करने वाला, प्राथमिक जीवनदायक तत्व ही दूषित हो जाए तो इसका परिणाम क्या होगा? आश्चर्य की बात तो ये है की समाज का शायद  ही ऐसा कोई अंग होगा जो इस बात से अवगत ना हो फिर भी ये मुद्दा सिर्फ़ कुछ चंद ही लोगों की चर्चा का विषय है|

इस महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा हो और अधिक से अधिक लोगों की जल संरक्षण मे भागीदारी हो, इस उद्देश्य से डब्लू डब्लू एफ - इंडिया के सतपुड़ा माइकल लैंडस्केप टीम ने 22 मई को, अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस आयोजित किया| इस महत्वपूर्ण दिवस के उपलक्ष में ग्राम मोचा में बहने वाली बंजर नदी को फिर से स्वच्छ बनाने का प्रयास किया गया|

बंजर नदी कान्हा के मुक्की इलाके से मोचा ग्राम की तरफ बहती है|  ना केवल ये नदी कान्हा के पास के गावों में रह रहे समुदायों के रोज़मर्रा के  कार्यों  के लिए ज़रूरी है, बल्कि आस पास के सभी जंगलों में पाए जाने वाले बाघ, तेंदुए, भालू जैसे जंगली  जानवरों की प्यास  बुझाती है|

बंजर की सफाई का  कार्यक्रम सुबह छ: बजे मोचा गांव के बंजर पुल से शुरू किया गया| 3 घंटे के दौरान नदी के दूरस्थ हिस्सों तक अलग अलग दलों के द्वारा सफाई कार्य किया गया| नदी के दोनों छोर, मुक्की और मोचा, पर डब्ल्यू डब्ल्यू एफ इंडिया, वन विभाग कान्हा, और कॉर्बेट फाउंडेशन जैसी संस्थाओं के दल मौजूद थे|  इस पूरे अभियान की दौरान बंजर  के  किनारों से ढेरों प्लास्टिक की बोतलें, थैले, डिब्बे और अन्य कचरा - जिसका अनुमानित वज़न लगभग 60 -70 किलो होगा - उचित प्रभंदन हेतु ईको-सेंटर में इकठ्ठा किया गया|

© WWF-India

कार्यक्रम की दिलचस्प बात ये रही के न केवल वो थैले जिसमे कूड़ा भरा गया रीसाइकल्ड बैनर्स के कपड़ों से बनाये गए थे, बल्कि कचरे में मुख्य रूप से पाए जाने वाले प्लास्टिक और रबर के सामान को रीसायकल कर प्रयोग-योग्य उत्पाद बना कर, उन्हें सोवेनिर शॉप में रखा जाएगा| इस तरह बंजर की सफाई कर रहे लोगों के परिश्रम की कहानी और रीसाइक्लिंग की उपयोगता का सन्देश कान्हा में आ रहे पर्यटकों तक पहुंचाया जा सकेगा|

सफाई अभियान के दौरान, कान्हा में स्थित होटल संचालकों को भी उचित रूप से कचरा प्रभंदन करने की प्रक्रिया समझायी गयी, और उन्हें ऐसे कार्यों में सहयोग देने के लिए प्रेरित किया गया - जिससे हरित पर्यटन के ज़रिये वह भी संतुलित जैव-विविधता और स्वस्थ पर्यावरण बनाये रखने में भागीदार बनें|

अंत में कान्हा प्रबंधन के द्वारा कॉफ़ी टेबल बुक (नाम) का अनावरण किया गया - इस बुक में कान्हा में पाए जाने वाले विभिन्न जीव-जंतुओं का समावेश है|

APCCF श्री असीम श्रीवास्तव, कान्हा फील्ड डायरेक्टर श्री संजय शुक्ल और डब्लू डब्ल्य एफ इंडिया के स्पीशीज डायरेक्टर श्री दीपांकर घोष ने अपने उद्बोधन में ऎसे और कार्यक्रम आयोजित कर अधिक से अधिक  लोगों को प्रकृति सरंक्षण से जोड़ने की ज़रुरत पर प्रकाश डाला|

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- By Vrinda Nagar with inputs from WWF-India SML team

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